भारत में 15 अगस्त क्यों मनाया जाता है? इस सवाल का जवाब शायद आप में से काफी लोगों के पास नहीं होगा. भारत दुनिया की सबसे विशाल देशों में से एक है और यहां पर कई सारे त्यौहार मनाए जाते हैं. सद्गुरु के अनुसार एक समय ऐसा भी था जब भारत में 365 त्योहार मनाए जाते थे लेकिन अब धीरे-धीरे त्योहारों की प्राथमिकता खत्म होती जा रही हैं.

लेकिन फिर भी कुछ त्योहार ऐसे हैं जिन्हें हम बेहद ही उत्साह से मनाते हैं. इनमें से ही एक त्यौहार स्वतंत्रता दिवस भी है. स्वतंत्रता दिवस भारत में मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय त्मेंयोहारों में से एक हैं. आज हम जानेंगे कि स्वतंत्र दिवस क्या है और स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है?

वैसे तो भारत में अधिकतर त्योहार भारतीय महीने और भारतीय तिथियों के अनुसार मनाए जाते हैं. लेकिन स्वतंत्र दिवस उन गिने-चुने त्योहारों में से एक है जो अंग्रेजी दिनांक के अनुसार मनाया जाता है. इसका प्रमुख कारण यह है कि यह त्योहार अधिक कुछ सालों पहले से ही आरंभ हुआ है और यह त्योहार भारतीय संस्कृति से नहीं बल्कि भारत देश से जुड़ा हुआ है.

स्वतंत्रता मतलब होता है आजादी और दिवस मतलब होता है दिन, यानी कि स्वतंत्र दिवस का मतलब है आजादी का दिन. इसलिए मैंने सोचा क्यूँ न हम स्वतंत्र दिवस क्यों मानते है के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करें. तो फिर चलिए शुरू करते हैं.

15 अगस्त वो तारिक है जिस दिन भारत को पूर्ण स्वतंत्रता मिली थी. स्वतंत्रता दिवस को अंग्रेजी में Independence Day कहा जाता हैं. अगर आप सोच रहे हैं कि स्वतंत्रता दिवस केवल भारत में ही मनाया जाता है तो शायद आपकी सोच गलत है. हर देश कभी ना कभी किसी कम्युनिटी का गुलाम रहा ही है और ऐसे में जिस दिन उन्हें आजादी मिली वह उसे स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं.

यही वो दिन है जिस दिन, Jawaharlal Nehru जी ने, जो की बाद में भारत के सर्वप्रथम प्रधानमंत्री भी बने, उन्होंने भारत का राष्ट्रीय ध्वज लाल किले के Lahori Gate से फेरया था. इसके साथ उन्होंने पुरे देश वासिओं को संबोधन भी किया था. भारत में स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाता है. इस दिन पूरे देश में देशभक्ति का माहौल रहता है क्योंकि यही वह दिन है जिस दिन हमें ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी.

यह भारत के सबसे बड़े देश भक्ति दिवसों में से एक है. ब्रिटिश शासन काफी चतुर को अत्याचारी था और उन्होंने हम पर करीब 200 सालों तक अत्याचार किए. लेकिन आखिरकार कई कुर्बानियों के बदौलत हमें ब्रिटिश शासन से आजादी मिल ही गयी. आजादी का श्रेय उस हर व्यक्ति को जाता है जो देश के लिए अपनी जान पर खेलकर लड़ा और हमे आजाद कराया.

स्वतंत्रता दिवस के दिन पूरे देश में कई जगह अलग-अलग कार्यक्रम होते हैं. जितना उत्साह लोगों को दिवाली का रहता है उतना ही उत्साह स्वतंत्र दिवस का भी रहता है. यह वह दिन है जिस दिन भारत का हर नागरिक अपने भारतीय होने पर गर्व करता है.



इंडिपेंडेंस डे क्यों मनाया जाता है?

कुछ देशों को छोड़कर दुनिया में ऐसा कोई भी देश नहीं है जो कभी किसी कम्युनिटी का गुलाम नहीं रहा हो. हर देश में गुलामी की मार सहा है और कुछ देश तो आज भी अप्रत्यक्ष तरीके से इस मार को सह रहे हैं. इस बात में कोई शक नहीं कि ब्रिटिश एक कूटनीतिज्ञ देश था और इस वजह से वह कई देशों पर शासन करने में और उन्हें बुरी तरह से लूटने में सफल रहा.

दरअसल ईस्ट इंडिया कंपनी काफी समय से भारत में व्यापार करने की सोच रही थी लेकिन भारत में दुनिया की सबसे ताकतवर सल्तनत में से एक मुगल सल्तनत स्थापित थी.

मुगल सल्तनत की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि उस समय मुगल सल्तनत ही इतनी आगे थी जितना की आज अमेरिका हैं. कहा जाता है कि मुगल सल्तनत के हाथ में दुनिया की एक चौथाई से भी अधिक ताकत थी चाहे वह सैनिक बल में ही या आर्थिक स्थिति में.

जंग-ए-चाइल्ड में जब केवल 309 सैनिकों की मदद से अंग्रेजो ने बादशाह औरंगजेब से टक्कर देने की सोची तो उन्हें दुम दबा के भागना पड़ा क्योंकि औरंगजेब का केवल एक वफादार 40 हजार सैनिक लेकर उन्हें सबक सिखाने पहुच गया. कहा जाता हैं की औरंगजेब की सेना में करीब 9 से 10 लाख सैनिक थे.

लेकिन धीरे-धीरे मुगल सल्तनत कमजोर होती गई और एक समय ऐसा आया जब केवल कुछ पैसों के लालच चक्कर में अंग्रेजों को भारत में व्यापार करने की अनुमति दे दी. अंग्रेजों ने भारत में व्यापार करना शुरू कर दिया लेकिन यहां के लोगों के सरल व्यवहार को देखकर सोचा कि इन्हें लूटना बेहद ही आसान है और उन्होंने इसके लिए अपनी कूटनीति अपनाना शुरू कर दिया.

शुरुआत में अंग्रेजों ने जहांगीर को भड़का कर पुर्तगालियों को रास्ते से हटाना शुरू कर दिया जो की उनसे भी पहले भारत में व्यापारिक दृष्टि से आ चुके थे.

करीब 1615 से 1618 के बीच में अंग्रेज अधिकारी थॉमस रो ने मुगल शासक जहांगीर से व्यापार के लिए विशेष अधिकार प्राप्त कर लिया और जगह-जगह अपने कारखाने लगाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे कंपनी का वर्चस्व बढ़ता गया और उन्होंने अपनी कूटनीति से भारत में अपना शासन स्थापित करना शुरू कर दिया.

ब्रिटिश शासन केवल अपना ही फायदा देखता था और इसके चलते उन्होंने भारतीयों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया. उनके बढ़ते हुए अत्याचारों के कारण साल 1857 में उनके खिलाफ एक क्रांति हुई लेकिन वह असफल हुई. लेकिन आखिरकार करीब 90 सालो बाद क्रांतिकारियों की कुर्बानी के बदौलत हमें अत्याचारी ब्रिटिश शासन से आजादी मिल ही गयी.

अंग्रेजो से हमे पूर्ण रूप से आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी और तब से लेकर अब तक हम इस दिन की स्वतंत्रता दिवस के नाम से जानते हैं. इसी वजह से हम 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस को मनाते हैं.

15 अगस्त का महत्व

भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां पर कई तरह के लोग रहते हैं. भारत के दक्षिण में अलग तरह के लोग रहते हैं और उत्तर में अलग तरह के लोग रहते हैं. विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न मान्यताएं और संस्कृति के चलते विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं. कई सारे त्यौहार ऐसे भी हैं जिन्हें पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन किसी त्योहार की मान्यता कहीं पर ज्यादा तो कहीं पर कम होती है लेकिन स्वतंत्रता दिवस सभी जगह समान रूप से मनाया जाता हैं.

स्वतंत्रता दिवस के दिन पूरे देश भर के स्कूलों कॉलेजों आदि में बड़े व छोटे स्तर पर कार्यक्रम होते हैं. इस दिन हमारे स्वतंत्रता संग्रामीयो को याद किया जाता हैं.

सभी लोग अपने अपने स्तर पर स्वतंत्रता दिवस को अपने तरीके से मनाते हैं. स्वतंत्रता दिवस के दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर भारतीय ध्वज तिरंगे को फहराते हैं और हजारी लाखो लोगो के सामने अपनी देशभक्ति प्रकट करते हैं.

15 अगस्त कैसे मनाया जाता हैं?

हर त्यौहार की तरह स्वतंत्र दिवस भी सभी लोग अपने अपने तरीके से मनाते हैं. जो लोग स्कूल और कॉलेज या फिर किसी अन्य संस्थान के किसी भी प्रोग्राम को अटेंड नहीं कर पाते वह भी सोशल मीडिया के माध्यम से स्वतंत्रता दिवस के दिन देश के क्रांतिकारियों को याद करके और स्वतंत्रता दिवस से जुड़ा कॉन्टेंट देखकर अपना फर्ज निभाते हैं.

अगर स्कूल में कॉलेजों की बात करें तो इन जगहों पर विभिन्न स्तर पर स्वतंत्र दिवस को मनाया जाता है. इस दिन स्कूलों व कॉलेजो में देशभक्ति गीतों पर नृत्य, देश से जुड़े हुए भाषण व देशभक्ति से परिपूर्ण नाटकों का आयोजन किया जाता हैं.

यह विद्यार्थियों के हृदय में तो देश के प्रति सम्मान पैदा करता ही है और साथ में वहा पधारे अन्य लोगो में भी अपने देशभक्ति की भावना को जगाता हैं. इन कार्यक्रमो के बाद अधिकतर स्थानों पर लड्डू भी बाते जाते हैं जो अब एक प्रथा सी बन गयी हैं.